चौलाई साग(Cholai sag recipe in hindi)

 Chef Richa pathak.
Chef Richa pathak. @cook_22770864
Aurangabad

#cj #week3 :— दोस्तों हरी पत्ते वाली चौलाई की साग की विशेषता बताने के पहले इसके बारे में कुछ नजर डालें। दोस्तों चौलाई की साग पुरे विश्व में पाई जाती है। आमारानथूस अंग्रेजी में कहतें हैं। अब तक इसकी 60 प्रजातियां की पहचान हो चुकी है, इसके पुष्प पर्पल और लाल से सुनहरा होते हैं। गर्मी और बरसात के मौसम के लिए चौलाई बहुत ही उपयोगी है। यह हरी और लाल दो रंगों की होती है। विटामिन सी की प्रचुर मात्रा पाएं जाते हैं ।
आयुर्वेद में इसे राम बाण माना गया है, कयोंकि यह सभी प्रकार की विषों का निवारण करता है। इस लिए विषदन के नाम से जाना जाता है। सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें सोना धातु पाया जाता है जो किसी अन्य साग और सब्जियों में नहीं पाया जाता ।औषधियों के रूप में पंचाग यानी पांचों अंग -जड़, डंठल,फल,फूल और पत्ते सभी काम में लाए जातें हैं। इसके डंठलों और पत्तीयों में प्रोटीन, खनिज, विटामिन,ए,सी पाएं जाते हैं। एनीमिया के मरीजों के लिए लाल चौलाई की साग बहुत फायदेमंद होता है। शरीर से जुड़े सभी समस्याओं का समाधान करने में सहायक होती है साथ ही प्रसव के बाद दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए औषधि का कार्य करती है।

चौलाई साग(Cholai sag recipe in hindi)

#cj #week3 :— दोस्तों हरी पत्ते वाली चौलाई की साग की विशेषता बताने के पहले इसके बारे में कुछ नजर डालें। दोस्तों चौलाई की साग पुरे विश्व में पाई जाती है। आमारानथूस अंग्रेजी में कहतें हैं। अब तक इसकी 60 प्रजातियां की पहचान हो चुकी है, इसके पुष्प पर्पल और लाल से सुनहरा होते हैं। गर्मी और बरसात के मौसम के लिए चौलाई बहुत ही उपयोगी है। यह हरी और लाल दो रंगों की होती है। विटामिन सी की प्रचुर मात्रा पाएं जाते हैं ।
आयुर्वेद में इसे राम बाण माना गया है, कयोंकि यह सभी प्रकार की विषों का निवारण करता है। इस लिए विषदन के नाम से जाना जाता है। सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें सोना धातु पाया जाता है जो किसी अन्य साग और सब्जियों में नहीं पाया जाता ।औषधियों के रूप में पंचाग यानी पांचों अंग -जड़, डंठल,फल,फूल और पत्ते सभी काम में लाए जातें हैं। इसके डंठलों और पत्तीयों में प्रोटीन, खनिज, विटामिन,ए,सी पाएं जाते हैं। एनीमिया के मरीजों के लिए लाल चौलाई की साग बहुत फायदेमंद होता है। शरीर से जुड़े सभी समस्याओं का समाधान करने में सहायक होती है साथ ही प्रसव के बाद दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए औषधि का कार्य करती है।

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सामग्री

15मिनट
4सदस्य के लिए
  1. 2बंडल चौलाई की साग
  2. 2सुखे लाल मिर्च
  3. 1 छोटी चम्मचमेंथी दाना
  4. 1/2 छोटी चम्मचहींग
  5. स्वादानुसारनमक
  6. 2-3 चम्मचसरसों का तेल

कुकिंग निर्देश

15मिनट
  1. 1

    सबसे पहले चौलाई को चुन कर साफ कर लें फिर, दो से तीन पानी से धो कर डलिया या सुप में रख कर पानी निकाल ले। अब इसे काट लें।

  2. 2

    इसमें डालने वाली सामग्री को एकत्र कर लें।
    अब मीडियम फलेम में कराही में सरसों का तेल गर्म करें और मेंथी, मिर्च और हींग डाले और बारीक कटी हुई चौलाई की साग को डाल कर भूने एक मिनट के लिए।
    नोट:‐---जब भी कोई सांग बनाएं तो, पहले एक या दो मिनट के लिए भुने, इससे सांग के अंदर की पानी निकल जाएंगी और तब सही मात्रा में नमक डाले। कयोंकि सांग बनाने के पहले बहुत दिखतीं है परन्तु बनने के बाद इसकी मात्रा कम हो जाती है ।

  3. 3

    भुनने के बाद नमक डाल कर उपर से और कटी हुई चौलाई की साग डाले, इससे सांग बराबर पक जाती हैं।

  4. 4

    अब आवस्यकता अनुसार पानी डाले और पानी सुखने तक पकने दे। और उलट पलट कर पुरा पानी सुखने तक पकने दे। अब चौलाई की साग बन कर तैयार हो गए हैं इसे गरमा गरम चावल या चपाती के साथ सर्व करें ।

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