स्वादिष्ट झटपट धुलने वाले चना दाल की बड़ीया

 Chef Richa pathak.
Chef Richa pathak. @cook_22770864
Aurangabad

#SC #Week2
#नानीदादीकीरेसपी :— दोस्तों आज की थीम के लिए मैने अपनी दादी माँ की रेसपी शेयर कर रही हूँ। जो मेरे पापा, दादा जी और घर के सभी सदस्यों को अच्छी लगती थीं। और साप्ताहिक तौर पर गरमा गरम चावल के साथ सभी परिवारों के सदस्य एक साथ बैठ कर खाने का आनंद लेते थे। वो समय आज भी याद आती हैं, परिवार के कुछ सदस्य तो अब हमारे बीच नहीं हैं परंतु इस स्वादिष्ट बडिया के बनने की खुशबू से धूमिल हुई छवियां ताजा हो जाती हैं। पापा कहतें थे अईया बडिया ज्यादा बना दिओ, दिदिया के ससुराल में ले जाएंगे, इसी बहाने समाचार मालुम हो जाएगा। उधर बगल की चाची, अम्मा इस वर्ष मेरे लिए भी बना दियो, बेटी का लगन किया है ना इस वास्ते अंगना में ना बनेंगी। दादी की छोटकी वहुरिया अम्मा जी इस वर्ष भुरा नहीं मिला मायके में थोड़ी वहां भी भेजवा दीजो। कहने का मतलब सिर्फ बडिया ही नहीं, परिवार को एक दुसरे के साथ कुशल ब्यवहार और सहानुभूति की परिभाषा है। कभी अभाव में बनी आलुओं के साथ तरी वाली स्वादिष्ट सब्जी की कमी पूरी करती तो कभी ,किचेन की दाल की बजट को बरकरार रखने में मदद करती है तो कभी मुंह की जायका बढ़ा देती हैं। आज की रेसपी सचमुच मुझे आपनी दादी माँ की याद दिलाती हैं तथा ऐसी ही बडिया माँ भी बनाती हैं और मैंने भी बनाना शुरू कर दिया। बडिया बिल्कुल अलग स्वाद और खुशबू से भरपूर है,गर्म चावल के साथ खाए बहुत अच्छा लगेगा। इस रेसपी के लिए मुझे फोलो करें और आप भी मेरी तरह स्वादिष्ट बडिया बनाएं।

स्वादिष्ट झटपट धुलने वाले चना दाल की बड़ीया

#SC #Week2
#नानीदादीकीरेसपी :— दोस्तों आज की थीम के लिए मैने अपनी दादी माँ की रेसपी शेयर कर रही हूँ। जो मेरे पापा, दादा जी और घर के सभी सदस्यों को अच्छी लगती थीं। और साप्ताहिक तौर पर गरमा गरम चावल के साथ सभी परिवारों के सदस्य एक साथ बैठ कर खाने का आनंद लेते थे। वो समय आज भी याद आती हैं, परिवार के कुछ सदस्य तो अब हमारे बीच नहीं हैं परंतु इस स्वादिष्ट बडिया के बनने की खुशबू से धूमिल हुई छवियां ताजा हो जाती हैं। पापा कहतें थे अईया बडिया ज्यादा बना दिओ, दिदिया के ससुराल में ले जाएंगे, इसी बहाने समाचार मालुम हो जाएगा। उधर बगल की चाची, अम्मा इस वर्ष मेरे लिए भी बना दियो, बेटी का लगन किया है ना इस वास्ते अंगना में ना बनेंगी। दादी की छोटकी वहुरिया अम्मा जी इस वर्ष भुरा नहीं मिला मायके में थोड़ी वहां भी भेजवा दीजो। कहने का मतलब सिर्फ बडिया ही नहीं, परिवार को एक दुसरे के साथ कुशल ब्यवहार और सहानुभूति की परिभाषा है। कभी अभाव में बनी आलुओं के साथ तरी वाली स्वादिष्ट सब्जी की कमी पूरी करती तो कभी ,किचेन की दाल की बजट को बरकरार रखने में मदद करती है तो कभी मुंह की जायका बढ़ा देती हैं। आज की रेसपी सचमुच मुझे आपनी दादी माँ की याद दिलाती हैं तथा ऐसी ही बडिया माँ भी बनाती हैं और मैंने भी बनाना शुरू कर दिया। बडिया बिल्कुल अलग स्वाद और खुशबू से भरपूर है,गर्म चावल के साथ खाए बहुत अच्छा लगेगा। इस रेसपी के लिए मुझे फोलो करें और आप भी मेरी तरह स्वादिष्ट बडिया बनाएं।

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सामग्री

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  1. 250ग्रा म भतुवा
  2. 2-3 चम्मचहींग
  3. 3-4सूखा मिर्च
  4. 2किलों चना की दाल की बेसन
  5. 2-3 चम्मचगरम मसाला पाउडर
  6. 2 चम्मचमेंथी पाउडर
  7. 2 चम्मचधनिया पाउडर
  8. 1 चम्मचजीरा पाउडर
  9. 1 चम्मचगोल्की पाउडर

कुकिंग निर्देश

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    दोस्तों जैसा कि हम सभी जानते हैं कि यह थीम दादी-नानी की हैं, तो मैंने अपनी दादी माँ की तरह ही बनाई हूँ। मेरी दादी पहले भतुवा को छील कर छोटे आकार में काट लेती थीं। फिर उसमें से बीज़ अलग कर,कद्दूकस किया करती थी, परन्तु मैंने इसे मिक्सी में पीस ली हूँ।

  2. 2

    अब जो सबसे जरूरी बात,वो यह है कि पिसी हुई भतुवा में सूखा मिर्च (टोटके के रूप में)और हींग डाल कर दो से तीन दिन धूप में रख ले ।ताकि पानी की तासीर ना रहे। इस विधि के कारण ही बडिया सालों भर खराब नहीं होता ।
    अब चने की दाल को मिक्सी में थोड़ा मोटा पीस लें और बेसन बना लें।

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    कुछ इस तरह से, अब भतुवा पहले के अपेक्षा सुख गई है।
    अब बेसन थोड़ा मोटा है तो पानी आवस्यकता अनुसार डाल कर एक घंटे के लिए ढक कर रख दे। इस विधि से बेसन अच्छी तरह से फुल जाएंगी।
    उसके बाद उसको अपने हथेलियों से खूब फेने। अच्छी तरह से फुल जाने के बाद वो हल्की और चमकदार हो कर हल्के रंग की दिखने लगेगा।

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    हींग और मेंथी को हल्के आंच में भुने और पाउडर बना लें ।

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    अब इसमें सही अनुपात में मसाला की सामाग्री डालें और फिर से फेट लें। आपको जरूरी लगें तो पानी में डाल कर देख लें, अगर मिश्रण पानी में तलने लगे तो भतुवा डाल कर मिला ले ।

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    अब यह मिश्रण बिल्कुल तैयार हैं।
    इसे गिले सुति कपड़े पर हाथों से छोटे-छोटे खोंट लें। और कड़ी धूप में सूखने दें। दादी माँ कहती थीं, जब चलें पछिया, तब बनैइयो। कहने का मतलब जब पछिया पवन चलती है तब बडिया अच्छी सुख कर फूलने लायक बनती हैं और पुरवईया हवा में यह कठोर हो जाती हैं।

  7. 7

    ये देखो कितने अच्छे से कपड़े से बिना टूटे निकल गई हैं और बिलकुल सोया बडी की तरह हल्की लग रही है। इसे कड़ी धूप में दो से तीन दिनों तक सूखा लेना।

  8. 8

    और किसी कांच की बर्नी में रख ले और स्टोर करे।जब चाहें तब बना कर गरमा गरम चावल के साथ सर्व करना।

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